मेरा नाम बुम्बडिया विनोद कुमार है में कला वर्ग तीसरे वर्ष में आबूरोड कॉलेज में पढाई करता हूँ ! पिछले दो सालो से रेडियो मधुबन ९०.४ में रहते हुए अपनी पढाई भी कर रहा हूँ और रेडियो में सेवा भी कर रहा हूँ .मै आदिवासी भील समाज से हूँ और हमारे समाज में तथा और जो आदिवासी समुदाय भील और गरासिया में कुछ ऐसी परम्परा कहे या कुरीति कहे जो चलने से हमारे भाई बहेनो का विकास नहीं हो पाता ! और मुझे इन सभी में जो मुख्य अधिकतर चल रही है, कम उम्र में शारीरिक सम्बन्ध ! इस परमपरा में इनके समाज के लोग जिनकी उम्र 14 से 16 से बीच होती है और इनके घरवाले या ये खुद अपनी पसंद की लड़की को देखकर या लड़के को देखकर अपना रिस्ता इनके समाजो में होनेवाले मेले में तय कर लेते है ! इस परम्परा में बदलाव लाने के लिए रेडियो मधुबन के सदस्य विनोद जो की स्वम् भी इसी समाज से है उन्हेोने इस परम्परा में बदलाव लाने के लिए एक अनूठी पहल छेड़ी है ! उन्होंने उदयपूर जिले के तहसील कोटड़ा में आये हुए बड़ली पंचायत में समाज के कुछ लोग और राजकीय माध्यमिक स्कूल के बच्चो को इस पंचायत कार्यालय में इकठ्ठा करके उन्हें कम उम्र में होने वाले नुकसान के बारे में जाकारी दी और साथ ही स्थानीय जागरूक महिला होकिली बाई ने अपने विचारोे में कहा की अगर आप जैसे जागरूक युवा हमारे इन गावो में आते रहेंगे तो इस परम्परा में बदलाव आ सकता है ! स्थानीय गाव गउपीपला के कुछ जागरूक युवा में राजेंदर,कांतिलाल, जगदीस,जीतमल, और सुरेश ने अपने विचार अपनी आदिवासी भाषा में व्यकत करते हुए कार्यक्रम में उपस्थिति लोगो से निवेदन किया की इस परम्परा को बंद करने के लिए आप सभी हमारा सहयोग करे.
इस कार्यक्रम में IBN7 के रिपोेर्टर नारायण वाडेरा और दैनिक नवज्योति के रिपोर्टर सुरेंदर खराड़ी भी आये थे और सुरेंदर खराड़ी जी ने स्थानीय लोगो को शादी से पहले होनेवाले नुकसान की जानकारी देते हुए रेडियो मधुबन की ये सराहना की और कहा की ये एक अच्छी शुरुआत है और ये इस तरह के कार्यक्रम बार बार आयोजित होते रहे ताकि इस समाज में चलने वाली परमपरा समाप्त हो और इस समाज के लोग अपना विकास कर सके !
इस कार्यक्रम में IBN7 के रिपोेर्टर नारायण वाडेरा और दैनिक नवज्योति के रिपोर्टर सुरेंदर खराड़ी भी आये थे और सुरेंदर खराड़ी जी ने स्थानीय लोगो को शादी से पहले होनेवाले नुकसान की जानकारी देते हुए रेडियो मधुबन की ये सराहना की और कहा की ये एक अच्छी शुरुआत है और ये इस तरह के कार्यक्रम बार बार आयोजित होते रहे ताकि इस समाज में चलने वाली परमपरा समाप्त हो और इस समाज के लोग अपना विकास कर सके !